नवरात्रि का सातवां दिन – माँ कालरात्रि और अंधकार से उजाले की सीख
नवरात्रि का प्रत्येक दिन हमें अलग-अलग ऊर्जा और संदेश देता है। जहाँ पहले दिन माँ शैलपुत्री हमें स्थिरता सिखाती हैं, वहीं सातवें दिन की देवी माँ कालरात्रि हमें यह बताते हुए प्रेरित करती हैं कि जीवन का सबसे गहरा अंधकार भी हमारे भीतर छिपी शक्ति के आगे टिक नहीं सकता।
माँ कालरात्रि का स्वरूप पहली नज़र में भयंकर प्रतीत हो सकता है। उनका काला वर्ण, बिखरे हुए केश, गले में माला और प्रचंड आभा किसी को भी भयभीत कर सकती है। लेकिन यही माँ अपने भक्तों के लिए अत्यंत दयालु और कल्याणकारी हैं। इन्हें "शुभंकारी" भी कहा जाता है क्योंकि इनकी पूजा से जीवन का हर अंधकार मिटकर उजाला आता है।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
माँ कालरात्रि चार भुजाओं वाली हैं। इनके एक हाथ में वज्र (शक्ति का प्रतीक) और दूसरे में तलवार रहती है। शेष दो हाथों से वे वरदान और अभय देती हैं। उनका वाहन गधा है, जो साधारणता और विनम्रता का प्रतीक है।
इस स्वरूप का गहरा संदेश है—जीवन चाहे कितना भी भयंकर लगे, यदि हमारे भीतर श्रद्धा और साहस है तो कोई भी शक्ति हमें रोक नहीं सकती।
कथा और महत्व
पुराणों के अनुसार, जब असुरों का आतंक चरम पर था और देवगण भयभीत हो गए थे, तब माँ दुर्गा ने अपने कालरात्रि स्वरूप से असुरों का संहार किया। उनका भयंकर रूप देखकर दानव काँप उठे और सच्चाई की विजय हुई।
यह कथा हमें यह सिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न लगे, अंत में सत्य और भलाई ही जीतती है। हर इंसान के जीवन में भी ऐसे “असुर” होते हैं—भय, लालच, क्रोध, तनाव। माँ कालरात्रि हमें यह शिक्षा देती हैं कि इन अंधकारमय शक्तियों से भागने की बजाय उनका सामना करना चाहिए।
सातवें दिन की साधना का महत्व
नवरात्रि के सातवें दिन साधक हृदय चक्र (अनाहत चक्र) से ऊपर स्थित "आज्ञा चक्र" की साधना करता है। यह चक्र ज्ञान और अंतर्ज्ञान का केंद्र है। माँ कालरात्रि की उपासना से साधक की आत्मा में शक्ति और स्पष्टता आती है।
आज की भाषा में कहें तो—यह दिन हमें हमारे भीतर की “आवाज़” सुनने की ताकत देता है। जब जीवन में निर्णय कठिन हो जाते हैं, तब माँ की शक्ति हमें सही दिशा दिखाती है।
मानव जीवन के लिए सीख
-
अंधकार से न डरना – जीवन में कठिनाइयाँ अंधकार की तरह हैं। माँ कालरात्रि सिखाती हैं कि अंधकार से भागने के बजाय हमें दीपक जलाना चाहिए, यानी साहस और विश्वास बनाए रखना चाहिए।
-
भय पर विजय – असफलता, आलोचना या भविष्य का डर हमें रोकता है। यह दिन याद दिलाता है कि भय केवल मन का भ्रम है।
-
साधारणता में महानता – माँ का वाहन गधा है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि महानता साधारण जीवन में भी संभव है। अहंकार छोड़कर जब हम विनम्र रहते हैं, तभी असली शक्ति प्रकट होती है।
-
आत्मविश्वास और दृढ़ता – कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं कि उसका समाधान न हो। दृढ़ता और आत्मविश्वास से हर चुनौती आसान हो जाती है।
आज की ज़िंदगी में माँ कालरात्रि की सीख कैसे अपनाएँ?
-
भय पर काम करें – हर दिन उन चीज़ों को लिखें जिनसे आप डरते हैं, और धीरे-धीरे उनका सामना करें।
-
रिश्तों में उजाला लाएँ – नकारात्मकता को दूर कर बातचीत में ईमानदारी और विश्वास रखें।
-
तनाव में मंत्र जपें – "ॐ देवी कालरात्र्यै नमः" का जप मन को साहस और शांति देता है।
-
विनम्रता अपनाएँ – जीवन में चाहे सफलता कितनी भी बड़ी क्यों न हो, साधारण बने रहना ही स्थायी आनंद देता है।
आध्यात्मिक दृष्टि
माँ कालरात्रि का संबंध केवल बाहरी बुराइयों से नहीं है, बल्कि भीतर के अंधकार से भी है। जब हम क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक सोच में फँस जाते हैं, तब माँ का स्मरण हमें भीतर का उजाला खोजने की शक्ति देता है।
ध्यान करते समय यदि कोई माँ कालरात्रि का स्मरण करे तो उसे गहरी आंतरिक शांति का अनुभव होता है। यह अनुभव हमें यह सिखाता है कि सच्ची शांति बाहर नहीं, हमारे भीतर है।
निष्कर्ष
नवरात्रि का सातवां दिन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन का असली युद्ध भीतर के अंधकार से है। माँ कालरात्रि हमें साहस, आत्मविश्वास और विनम्रता का पाठ पढ़ाती हैं। उनका भयंकर स्वरूप हमें डराता नहीं, बल्कि यह विश्वास दिलाता है कि हर अंधकार के बाद प्रकाश अवश्य आता है।
यदि हम इस दिन की साधना को अपने जीवन में अपनाएँ, तो कठिनाइयाँ और भय हमें रोक नहीं पाएँगे। माँ कालरात्रि की कृपा से हम हर बाधा को पार कर सकते हैं और अपने जीवन में उजाले का स्वागत कर सकते हैं।

Comments
Post a Comment