सोहम :- प्राचीन ग्रंथों में बताई गई गुप्त ध्यान विधि
क्या आप रोज़मर्रा के तनाव और मन की बेचैनी से थक चुके हैं? क्या आपको एक ऐसी तकनीक चाहिए जो तुरंत मन को शांत करे और भीतर स्पष्टता लाए?
जवाब है — **सोहम ध्यान**।
यह कोई जटिल साधना नहीं है, बल्कि एक बेहद सरल और प्राचीन भारतीय अभ्यास है।
सोहम का अर्थ है — “मैं वही हूँ” (I am That)। यह हमें याद दिलाता है कि हम ब्रह्मांड से अलग नहीं, बल्कि उसका ही हिस्सा हैं।
सोहम ध्यान हमारी साँसों से जुड़ा है:
जब हम साँस अंदर लेते हैं, तो मन में ध्वनि होती है — *सो*
जब हम साँस बाहर छोड़ते हैं, तो मन में ध्वनि होती है — *हम*
बस, इसी प्रक्रिया पर ध्यान करना ही सोहम ध्यान है।
सोहम ध्यान कैसे करें?
स्टेप 1: आरामदायक स्थिति में बैठें
* एक शांत जगह चुनें।
* रीढ़ सीधी रखें और कंधे ढीले छोड़ें।
* आँखें धीरे से बंद कर लें।
स्टेप 2: साँसों पर ध्यान दें
* नाक से साँस अंदर लेते समय मन ही मन कहें — *सो*।
* साँस बाहर छोड़ते समय कहें — *हम*।
स्टेप 3: बस देखते रहें
* मन कभी भटकेगा, लेकिन घबराएँ नहीं।
* हर बार विचार आए, धीरे से वापस “सो… हम…” पर लौट आएँ।
👉 शुरुआत सिर्फ़ 5 मिनट से करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
सोहम ध्यान के फ़ायदे
तनाव में कमी – तनाव हार्मोन (कोर्टिसोल) कम होता है।
मानसिक स्पष्टता – दिमाग शांत होता है, निर्णय क्षमता बेहतर होती है।
बेहतर नींद – अनिद्रा में राहत मिलती है।
आत्म-जागरूकता – मन और शरीर के बीच गहरा जुड़ाव होता है।
अंतिम संदेश
ध्यान का सबसे बड़ा रहस्य है — निरंतरता।
रोज़ाना कुछ ही मिनट अभ्यास करने से आप पाएँगे कि धीरे-धीरे शांति, जागरूकता और गहराई आपके जीवन का हिस्सा बन गई है।

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