गणपति बप्पा: हर दुःख के संहारक
गणेश चतुर्थी का पर्व आते ही, हर तरफ एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हो जाता है। ढोल-नगाड़ों की गूँज, मोदक की खुशबू और "गणपति बप्पा मोरया" की जय-जयकार... ये सब मिलकर एक ऐसा माहौल बनाते हैं, जहाँ हर मन प्रफुल्लित हो उठता है। पर क्या हमने कभी सोचा है कि इस उत्सव के पीछे का गहरा आध्यात्मिक अर्थ क्या है? क्यों गणपति जी को विघ्नहर्ता और दुःखहर्ता कहा जाता है? हमारे जीवन में दुःख और चुनौतियाँ आना स्वाभाविक है। कभी करियर की चिंता, कभी रिश्तों की उलझन, तो कभी स्वास्थ्य की परेशानी। इन सभी दुखों से निकलने का रास्ता हमें गणपति जी के आध्यात्मिक स्वरूप में मिलता है। वे सिर्फ एक देवता नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला का प्रतीक हैं। आइए, उनके स्वरूप और कथाओं में छिपे उन रहस्यों को जानें, जो हमारे दुखों को कम कर सकते हैं। गणपति जी का स्वरूप: एक आध्यात्मिक पाठशाला गणपति जी का हर अंग हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाता है। उनके विशाल कान हमें यह सिखाते हैं कि हमें दूसरों की बातों को धैर्यपूर्वक सुनना चाहिए। जब हम सुनते हैं, तो हमें समस्याओं की जड़ तक पहुँचने में मदद मिलती है। उनकी छोटी आँखें हमे...